Tuesday, October 14, 2008

हिम्मत है तो रोक लो




सोनिया जी की ललकार "रोक सको तो रोक लो " से मैं बिल्कुल सहमत हूँ । ईश्वरभी उनका कभी साथ नही देता जो ग़लत होते हैं, सोनिया जी मे सच्चाई झलकती है । और यह भी बिल्कुल सत्य है की मैं कांग्रेस का बहुत बड़ा समर्थक हूँ , मैं सब कुछ बिल्कुल अपने नज़रिए से ही लिखूंगा । यह भी निश्चित है कि बहुत सरे ऐसे लोग भी होंगे जो मेरी बातों से असहमत होंगे ।

दैनिक जागरण कि ख़बर के अनुसार -
सोनिया जी मंगलवार को दिल्ली से निजी विमान के जरिए रायबरेली के फुर्सतगंज पहुंची थीं। रास्ते में उन्होंने लखनऊ जाने से परहेज किया। लालगंज में रेलवे स्टेशन के निकट पत्रकारों से भी बातचीत की। उन्होंने मुख्यमंत्री मायावती पर विकास योजनाओं पर पानी फेरने का आरोप लगाया।


हमारे रायबरेली के लोग न जाने कितने समय से इस रेल कोच फैक्ट्री कि आशा मे थे और पतानाही मुख्यमंत्री जी क्या सूझी कि भूमि पूजन के मटर कुछ ही दिन पहले ये भाखेदा खड़ा कर दिया । हो सकता है वो इस बात का बदला ले रहीं कि पिछले लोक सभा चुनाओ मे उनकी पार्टी के नेता के जमानत जप्त होने का बदला ले रहीं हों , वैसे कई कारण हो सकते है इस बदले के अब असल तो कारण माननीय मुख्यमंत्री जी जाने । यह तो पुरी तरीके से सत्य है कि रायबरेली गाँधी परिवार कि कर्म भूमि है चाहें वो इंदिरा जी का जमाना , राजीव जी का समय या फिर आज सोनिया जी का वक्त , और आने वाले भविष्य मे राहुल और शायद उनकी अगली पीढी का । सच तो यह है कि हम रायबरेली वाले मैडम जी (जो प्यार से हर रायबरेली के गों वाला बोलता है ) को अपने परिवार का अटूट अंग मानते है फ़िर कोई अगर उनके साथ इस तरह कि हरकत करे तो कैसे चुप रह सकते है ।


अगर आपको कोई आपके घर जाने से रोके तो कैसा लगेगा , वो घर जिसको आपने अपनी मेहनत से बनाया हो कुछ ऐसा ही सोनिया जी के साथ हो रहा है । खैर हमे ये उम्मीद है कि इन बातों से सोनिया जी और राहुल जी के हौसले नही हिलने वाले है । इसका जवाब जरूर ही लोगों को जल्द मिलेगा।




Sunday, October 12, 2008

DD मतलब दूरदर्शन

RAMAYAN












DEKH BHAI DEKH








SALMA SULTANA DD NEWS READER

BINYAAD





YE JO HAI JINDAGI











HE MAN

दूदर्शन एक सोच और एक द्रिष्टी


आज जब मैंने अपना मेल बॉक्स खोला तो देखा कि एक forwaded मेल जो मेरे इन्बोक्स मे थी और जिसने मुझे दूरदर्शन के उन पुराने दिनों की याद दिला दी जब केवल दूरदर्शन ही टेलिविज़न मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था ।
आज जब मैं उन पुराने दिनों कि याद करता हूँ तो बरबस ही मुझे अपने black&white टेलिविज़न की याद आ जाती है, जो अब न जाने कितने सालों से बिगडा पड़ा हुआ है और जिसे मेरे पिता जी बार बार बनवाने कि कोशिश करते है पर वो बन नही पता । सच मे दूरदर्शन और मेरे b&w टेलिविज़न से हमारी न जाने कितनी यादें जुड़ी है । मेरा , पापा और मम्मी का साथ बैठ कर टीवी देखना एक बड़ी अच्छी बात थी कि मुझे और पापा दोनों को भारत एक खोज बहुत पसंद था और पापा जी मुझे उनकी जानकारी भी सीरियल के साथ साथ दिया करते थे । आज मैं दूरदर्शन से जुड़ी हुई कुछ बातें आपको बताऊंगा उम्मीद है जरूर पसंद आएँगी ।

दूरदर्शन का प्रयोगात्मक प्रसारण दिल्ली में सितम्बर 1959 में एक छोटे से ट्रांसमीटर और एक अस्थायी स्टूडियो के साथ शुरू हुआ और यही से दूरदर्शन ने एक मामूली शुरुआत की थी और इसका नियमित दैनिक संचरण 1965 में ऑल इंडिया रेडियो के एक भाग के रूप में शुरू किया था। टेलिविज़न सेवा का विस्तार मुंबई ( तब का बॉम्बे) और अमृतसर मे किया गया सन् १९७२ मे किया गया । दूरदर्शन ने सन् १९७५ तक आपना दायरा भारत के ७ शहरों तक बढाया और देश का एक मात्र टीवी चैनल बना रहा । सन् १९७६ मे टीवी सेवा को रेडियो से अलग होना पड़ा अब आल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन अलग अलग महानिदेशकों के प्रबंधन मे दिल्ली मे स्वतंत्र रूप से कार्य करने लगे । अंत में दूरदर्शन के एक राष्ट्रीय प्रसारक के रूप में अस्तित्व में आया। राष्ट्रीय कार्यक्रम १९८२ में शुरू की गई थी और उसी वर्ष में रंगीन टी वी भारतीय बाजार में १५ अगस्त १९८२ को आ गए । तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा दिए गए स्वतंत्रता दिवस के भाषण का सीधा प्रसारण पेश किया गया साथ ही साथ एशियाई खेलों का भी सीधा प्रसारण किया गया अब दूरदर्शन राष्ट्रीय चैनल बन चुका था।

इसके साथ ही हम ८० के दूरदर्शन उस दशक मे पहुँच गए है जहा दूरदर्शन ने दैनिक प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को शुरू किया । हम लोग (१९८४), बुनियाद ( १९८६-८७) और ये जो जिंदगी है जैसे कॉमेडी शो भी प्रसारित किए । सबसे पहले दैनिक कार्यक्रम हमलोग, बुनियाद और पौराणिक नाटक जैसे रामायण और महाभारत ने लाखों लोगों को दूरदर्शन का दीवाना बनाया। ये बातें सोचते सोचते मैं अपने बचपन मे चला जाता हूँ और बचपन की अटूट यादें जो दूरदर्शन के साथ जो जुड़ी हुई है मैंने सबसे पहले उनका उल्लेख करना चाहूँगा ।

दूरदर्शन हमारे जैसे बच्चों के लिए भी रोजाना मनोरंजन का साधन बन गया था spider- man और he man बच्चों के पसंदीदा कार्यक्रम रहे। सच दूरदर्शन से हमारे उम्र के लोगों की बहुत सी यादें जुड़ी है ।

दादा दादी की कहानियाँ , करमचंद, रंगोली, ब्योमकेश बक्षी , चित्रहार जैसे न जाने कितने बेहतरीन कार्यक्रम का प्रसारण दूरदर्शन ने किया है । मुझे आज भी याद है दूरदर्शन का पहला होर्रोर शो "किले का रहस्य " जिसे बहुत पसंद किया गया था ।

अब 90 प्रतिशत से अधिक भारतीय आबादी के लगभग 1400 स्थलीय ट्रांसमीटरों के नेटवर्क के माध्यम से (डीडी नेशनल) दूरदर्शन का लिंक प्राप्त कर सकते हैं और आज 46 दूरदर्शन स्टूडियो आज टीवी कार्यक्रमों का निर्माण कर रहे है। पर आज समय बदल गया है साथ ही दूरदर्शन का चेहरा भी बदल गया है । आज मालगुडी डेज़ , भारत एक खोज , देख भाई देख , रजनी और सुरभि जैसे सीरियल न जाने कहा खो से गए हैं। कभी भारतीय समाज और संस्कृति का दर्पण दूरदर्शन भी कहीं भागती हुई जिंदगी के साथ आधुनिकता की दौड़ मे खो गया है ।

अंत मे मैं अपने इस लेख के लिए मेरी बहन ज्योति का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा की उसके द्वारा forward की हुई मेल ने मुझे आप लोगों को मेरी दूरदर्शन से जुड़ी हुई कुछ जानकारी और मेरा दूरदर्शन के प्रति प्यार को बाटने का प्रोत्साहन दिया ।
मेरा आखिरी धन्यवाद वर्तिका अवस्थी को जाता है चूँकि मेरी मेल इन्बोक्स मे जो मेल है वो मुझे यही जानकारी देता है कि ज्योति को ये मेल फॉरवर्ड करने वाली उसकी दोस्त वर्तिका ही है ।

मैं आप दोनों से बिना पूछे हुए आपके के द्वारा भेजी गई फोटोग्राफ्स का भी इस्तेमाल कर रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप लोग ऐसी जी मेल मुझे भेजते रहेंगे धन्यवाद्।

मनीष त्रिपाठी







Thursday, October 9, 2008

इंदिरा जी राजनितिक जीवन परिचय मेरी नज़र मे

मैं स्वर्गीय इंदिरा जी से बहुत ज़्यादा प्रभावित हूँ । भारत को आज भी उनके जैसे प्रतिभाशाली नेता की ज़रूरत है । जितना भी इतिहास मुझे पता हिया उसके अनुसार सन्१९५९ में इंदिरा जी चौथी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला ( चुनाव द्वारा ) प्रेजिडेंट बनी , बाद में प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में सन् १९६४ में भारत देश की सूचना और प्रसारण मंत्री बनी । मंत्री की तौर पर उन्होंने सस्ते रडियो और परिवार नियोजन पर ज़ोर दिया । शास्त्री जी की मृत्यु के उपरांत सन् १९६६ से अगले चुनाव तक इंदिरा जी के रूप में भारत को पहली महिला प्रधानमंत्री मिली। सन् १९६७ के चुनाव में श्रीमती गाँधी जीत कर पहली लोकतान्त्रिक रूप में छनी हुई महिला प्रधान मंत्री बनी । अगले चुनाव में "गरीबी हटाओ"का नारा लेकर वो चुनाव लड़ी और फ़िर से इंदिरा जी को भारत ने आपना प्रधानमंत्री चुना।
जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने के लिए, गांधी एक स्वैच्छिक नसबंदी कार्यक्रम लागू किया। परिणामस्वरूप, शत्रुओं ने उनकी और उसके प्रशासन की आलोचना की। अपनी सरकार को बचाने और दंगो को रोकने के लिए इंदिरा जी ने आपातकाल की घोषणा की जिसमे जनता की स्वतंत्रता को सीमित किया .इसके अलावा, वह मुख्य विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी के आदेश दिए। १९७७ में देशने उनके खिलाफ मतदान किया पर उन्होने पुनः 1980 में प्रधानमंत्री के रूप भारतीय राजनीती में दमदार उपस्थिति दर्ज की ।

अक्तूबर 31, 1984, इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों उसकी हत्या की । वे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर कांड का बदला ले रहे थे पर इस बात से अनजान थे की वो भारत को एक बेहतरीन प्रधानमंत्री से वंचित कर रहे है ।

प्रधानमंत्री के रूप में,इंदिरा गांधी जी ने भारतीयों के जीवन में सुधार करने की कोशिश की. उसके मुख्य उपलब्धियों पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में जीत और सोवियत संघ के साथ संबंधों में सुधार रहे थे। इसके अलावा 1971 में, भारत अंतरिक्ष में अपना पहला उपग्रह भेजा है। इंदिरा जी ने विश्व परिदृश्य में भारत को एक तेज़ी से बढती हुए अर्थवयवस्था के रूप में पेश किया ।
इंदिरा जी आपके द्वारा किए गए कार्य ने देश को नई उचाईयां प्रदान की है , हम सदा आपके आभारी रहेंगे।

जब तक सूरज चाँद रहेगा इंदिरा तेरा नाम रहेगा ॥

मेरा देश महान



है मेरा देश सबसे महान
ये है दुनिया की शान ।
शान्ति और समृधि का प्रतीक
भारत हर कहीं की संस्कृति का मीत
दुनिया भर से सैलानी आते है
हमारे देश के गुण गाते है
पर आज है परिदृश्य बदला
देश में हैं जनता को खतरा फ़िर कैसे .......... है
मेरा देश सबसे महान
ये है दुनिया की शान ।
इस बात का जवाब है हमे देना प्यार मोहब्बत से है
कुछ करना हम प्रगति दिशा में तेजी से जायेंगे
और हर दुश्मन को दिखायेंगे
हम अब भी सोने की चिडिया को रखते है
तुम जिसे कभी न मार पाओगे
हम फ़िर बताएँगे की ............
है मेरा देश सबसे महान
ये है दुनिया की शान ।