Sunday, October 12, 2008

दूदर्शन एक सोच और एक द्रिष्टी


आज जब मैंने अपना मेल बॉक्स खोला तो देखा कि एक forwaded मेल जो मेरे इन्बोक्स मे थी और जिसने मुझे दूरदर्शन के उन पुराने दिनों की याद दिला दी जब केवल दूरदर्शन ही टेलिविज़न मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था ।
आज जब मैं उन पुराने दिनों कि याद करता हूँ तो बरबस ही मुझे अपने black&white टेलिविज़न की याद आ जाती है, जो अब न जाने कितने सालों से बिगडा पड़ा हुआ है और जिसे मेरे पिता जी बार बार बनवाने कि कोशिश करते है पर वो बन नही पता । सच मे दूरदर्शन और मेरे b&w टेलिविज़न से हमारी न जाने कितनी यादें जुड़ी है । मेरा , पापा और मम्मी का साथ बैठ कर टीवी देखना एक बड़ी अच्छी बात थी कि मुझे और पापा दोनों को भारत एक खोज बहुत पसंद था और पापा जी मुझे उनकी जानकारी भी सीरियल के साथ साथ दिया करते थे । आज मैं दूरदर्शन से जुड़ी हुई कुछ बातें आपको बताऊंगा उम्मीद है जरूर पसंद आएँगी ।

दूरदर्शन का प्रयोगात्मक प्रसारण दिल्ली में सितम्बर 1959 में एक छोटे से ट्रांसमीटर और एक अस्थायी स्टूडियो के साथ शुरू हुआ और यही से दूरदर्शन ने एक मामूली शुरुआत की थी और इसका नियमित दैनिक संचरण 1965 में ऑल इंडिया रेडियो के एक भाग के रूप में शुरू किया था। टेलिविज़न सेवा का विस्तार मुंबई ( तब का बॉम्बे) और अमृतसर मे किया गया सन् १९७२ मे किया गया । दूरदर्शन ने सन् १९७५ तक आपना दायरा भारत के ७ शहरों तक बढाया और देश का एक मात्र टीवी चैनल बना रहा । सन् १९७६ मे टीवी सेवा को रेडियो से अलग होना पड़ा अब आल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन अलग अलग महानिदेशकों के प्रबंधन मे दिल्ली मे स्वतंत्र रूप से कार्य करने लगे । अंत में दूरदर्शन के एक राष्ट्रीय प्रसारक के रूप में अस्तित्व में आया। राष्ट्रीय कार्यक्रम १९८२ में शुरू की गई थी और उसी वर्ष में रंगीन टी वी भारतीय बाजार में १५ अगस्त १९८२ को आ गए । तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा दिए गए स्वतंत्रता दिवस के भाषण का सीधा प्रसारण पेश किया गया साथ ही साथ एशियाई खेलों का भी सीधा प्रसारण किया गया अब दूरदर्शन राष्ट्रीय चैनल बन चुका था।

इसके साथ ही हम ८० के दूरदर्शन उस दशक मे पहुँच गए है जहा दूरदर्शन ने दैनिक प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को शुरू किया । हम लोग (१९८४), बुनियाद ( १९८६-८७) और ये जो जिंदगी है जैसे कॉमेडी शो भी प्रसारित किए । सबसे पहले दैनिक कार्यक्रम हमलोग, बुनियाद और पौराणिक नाटक जैसे रामायण और महाभारत ने लाखों लोगों को दूरदर्शन का दीवाना बनाया। ये बातें सोचते सोचते मैं अपने बचपन मे चला जाता हूँ और बचपन की अटूट यादें जो दूरदर्शन के साथ जो जुड़ी हुई है मैंने सबसे पहले उनका उल्लेख करना चाहूँगा ।

दूरदर्शन हमारे जैसे बच्चों के लिए भी रोजाना मनोरंजन का साधन बन गया था spider- man और he man बच्चों के पसंदीदा कार्यक्रम रहे। सच दूरदर्शन से हमारे उम्र के लोगों की बहुत सी यादें जुड़ी है ।

दादा दादी की कहानियाँ , करमचंद, रंगोली, ब्योमकेश बक्षी , चित्रहार जैसे न जाने कितने बेहतरीन कार्यक्रम का प्रसारण दूरदर्शन ने किया है । मुझे आज भी याद है दूरदर्शन का पहला होर्रोर शो "किले का रहस्य " जिसे बहुत पसंद किया गया था ।

अब 90 प्रतिशत से अधिक भारतीय आबादी के लगभग 1400 स्थलीय ट्रांसमीटरों के नेटवर्क के माध्यम से (डीडी नेशनल) दूरदर्शन का लिंक प्राप्त कर सकते हैं और आज 46 दूरदर्शन स्टूडियो आज टीवी कार्यक्रमों का निर्माण कर रहे है। पर आज समय बदल गया है साथ ही दूरदर्शन का चेहरा भी बदल गया है । आज मालगुडी डेज़ , भारत एक खोज , देख भाई देख , रजनी और सुरभि जैसे सीरियल न जाने कहा खो से गए हैं। कभी भारतीय समाज और संस्कृति का दर्पण दूरदर्शन भी कहीं भागती हुई जिंदगी के साथ आधुनिकता की दौड़ मे खो गया है ।

अंत मे मैं अपने इस लेख के लिए मेरी बहन ज्योति का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा की उसके द्वारा forward की हुई मेल ने मुझे आप लोगों को मेरी दूरदर्शन से जुड़ी हुई कुछ जानकारी और मेरा दूरदर्शन के प्रति प्यार को बाटने का प्रोत्साहन दिया ।
मेरा आखिरी धन्यवाद वर्तिका अवस्थी को जाता है चूँकि मेरी मेल इन्बोक्स मे जो मेल है वो मुझे यही जानकारी देता है कि ज्योति को ये मेल फॉरवर्ड करने वाली उसकी दोस्त वर्तिका ही है ।

मैं आप दोनों से बिना पूछे हुए आपके के द्वारा भेजी गई फोटोग्राफ्स का भी इस्तेमाल कर रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप लोग ऐसी जी मेल मुझे भेजते रहेंगे धन्यवाद्।

मनीष त्रिपाठी







No comments: